मजदूरी से उद्यमिता की ओर

संगीता भाटी, बिंदु वासिनी के नेतृत्व में चल रही प्रगतिशील स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं, यह समूह WECD, उत्तराखंड द्वारा समर्थित हैं। आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरी संगीता समुदाय की कई युवा महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं, पर हमेशा से ऐसा नहीं था। निम्न आय वर्ग के परिवार में जन्मी संगीता को अपनी इच्छाओं के लिए हमेशा समझौता करना पड़ता था।

उसके पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे और पांच बच्चों वाले परिवार को चलाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। पांच भाई-बहनों में से चौथी संगीता ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की और परिवार की आय में योगदान देने के लिए कंप्यूटर कोर्स भी पूरा किया, लेकिन यह व्यर्थ हो गया। साल भर तक संगीता ने नौकरी की तलाश की और फिर थक हार कर घर बैठ गयी। वर्ष 2004 संगीता की शादी हो गयी।

संगीता के पति चीनी मिल में काम करते थे और मात्र 5300 रुपये कमाते थे। अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिए, उसने अपनी शादी की शुरुआत से ही 4000 रुपये के मामूली वेतन पर सीएफएल बल्ब फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था।

फैक्ट्री में उसका काम सीएफएल बल्ब की सोल्डरिंग करना था। उत्पादन का दबाव बहुत अधिक था; उसे हर दिन 2000-2500 बल्ब में टांके लगाने पड़ते थे। अपनी नौकरी खोने के डर से वह बीमारी या गर्भावस्था के दौरान छुट्टी लेने से बचती थी। कड़ी मेहनत के बाद भी दंपति केवल 9000 रुपये हीं कमा पाते थे जो कि किराए का भुगतान करने और तीन बच्चों सुप्रिया (10) विराट (7) और इशिका (5) को पालने के लिए पर्याप्त नहीं था।

2018 में, संगीता की पहचान प्रगतिशील एस.एच.जी के अध्यक्ष बिंदु वासिनी के साथ हुई और वह एसएचजी में शामिल हो गईं। संगीता और बिंदु के एस.एच.जी में और 14 महिलाएं हैं। वे एक साथ ऊर्जा स्वास्थ्य पाउडर तैयार करते हैं जिसे आंगनवाड़ी केंद्रों को आउटसोर्स किया जाता है।

उर्जा पाउडर गेहू के आटे, सोयाबीन, भुना चना, भुनी मूंगफली, चीनी, मंडुए का आटा एवेम घी से बनाया जाता है। मौसम के अनुसार मंडुए का आटा की जहग मक्का यां चौलाई एवं चीनी की जगह गुड का इस्तेमाल किया जाता है।

संगीता और उसकी साथी महिलाये उर्जा पाउडर बनाने की हर विधि में सक्षम हैं। अब संगीता अकेले हर महीने 9000/- रूपए कमाती है। संगीता अपने काम और आराम का समय खुद चुन सकती है जिससे उन्हें अपने परिवार के साथ बिताने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है ।

संगीता ने हाल हीं में अपना घर बनाने के लिए 85 वर्ग फुट जमीन खरीदा है, वह अपने बच्चों को एक अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूल में भेजती है और घर के लिए आवश्यक सामान जैसे डबल बेड, फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन खरीद चुकी है। संगीता ने हाल ही में अपने एक दिली ख्वाहिश को पूरा करते हुए सोने का एक मंगलसूत्र भी बनवाया है,

संगीता के शब्दों में "यह सब मैं पुरानी नौकरी में रहते हुए कभी नहीं कर सकती थी।"

संगीता के लिए प्रगतिशील एस.एच.जी उनका घर है और एस.एच.जी की बाकी सदस्य उनकी बहने उनके शब्दों में “सामान तो पैसे होने पर खरीदे जा सकते हैं पर ऐसे दोस्त मुश्किल से मिलते है जो हर दुःख सुख में आपका साथ निभाते हैं ।"